लू अति प्रतिकूल मौसमी घटनाओं (ईडब्ल्यूई) में से एक है। अध्ययन के मुताबिक, 50 सालों (1971-2019) में ईडब्ल्यूई ने एक लाख 41 हजार 308 लोगों की जान ली है। इनमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है जो कुल दर्ज मौत के आंकड़ों के 12 फीसदी से थोड़ा ज्यादा है।
इसमें कहा गया कि लू से अधिकतर मौतें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हुईं। यह शोधपत्र पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, वैज्ञानिक कमलजीत रे, एसएस रे, आरके गिरी और एपी डीमरी ने इस साल की शुरुआत में लिखा था। इस पत्र के मुख्य लेखक कमलजीत रे हैं।
यह अध्ययन हाल के हफ्तों में उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ी प्रचंड गर्मी की वजह से अहमियत रखता है। इस सप्ताह की शुरुआत में कनाडा और अमेरिका में भीषण गर्मी पड़ने की वजह से कई लोगों की मौत हो गई है। उल्लेखनीय है कि कनाडा के वैंकूवर शहर में तो पारा सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 49 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो गया।
भारत के भी उत्तरी मैदानों और पर्वतों में भीषण गर्मी पड़ी है और लू चली है। मैदानी इलाकों में इस हफ्ते के शुरुआत में पारा 40 डिग्री से अधिक पहुंच गया है। बता दें कि मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने और पर्वती इलाकों में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर किसी इलाके में लू की घोषणा की जाती है।