हिमाचल प्रदेश के इतिहास मे आज तक महिला मुख्यमंत्री का पद ग्रहण नहीं कर सकी है। हालांकि एक दो महिलाओं ने यह पद पाने के प्रयास किये पर सफलता नहीं मिल पाई। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में महिलाओं ने यह पाने के लिये संघर्ष भी किया पर उन्हें यह सफलता नहीं मिल पाई।श्री मति विद्या स्ट्रोक्स की कांग्रेस आला कमान में अच्छी पैंठ होने के बावजूद वीरभद्र सिंह की संगठन में पकड़ व सशक्त नेतृत्व के चलते, कई बार प्रयास करने के बाद भी उन्हे विफलता ही मिली। वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता,विधायकों के चयन में भूमिका व उन पर राज्य कांग्रेस की निर्भरता के कारण ऐसा ना हो सका। यद्पि कई बार ऐसा करने के लिये वीरभद्र सिंह के विरूद्ध लाबिंग करी व कौल सिंह तथा आनंद शर्मा से भी सहयोग लिया। ऐसा ही एक प्रयास वर्तमान महिला विधायक आशा कुमारी ने भी किया।लेकिन ज़मीन वाले मामले में संलग्नता ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया था। वैसे भी स्व. वीरभद्र सिंह के रहते किसी और कांग्रसी के मुख्यमंत्री बनना इतना आसान काम नहीं था।राऩी चंद्रेश,विपल्व ठाकुर जैसी महिलाऐं स्वतः ही नेपथ्य में चलीं गयीं। निकट भविष्य में कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री पद की कोई सशक्त दावेदार महिला प्रत्याशी नजर नहीं आ रही।भारतीय जनता पार्टी की कार्यप्रणाली में कांग्रेस से एकदम अंतर है।यह दावा किया जाता रहा है कि नेता उपर से नहीं थोपे जाते, लेकिन विधायकों को फीड़ किये जाते है।हमारे पास इसके कितने ही उदाहरण है। मूलतः दिल्ली की पार्टी ही तय करती है कि नेता बनाया जाए,फिर भारतीय जनता पार्टी के पास भी ज्यादा विकल्प नहीं हैं। श्रीमती सरवीण चौधरी यद्पि काफी देर से राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छा विकल्प नजर नहीं आ रहा।हाल ही में ज़मीन की खरीद फरोक्त के आरोपों की मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर जांच करवाने से कतरा रहे है। हालांकि आरोप गंभीर बताये जा रहे हैं। इन परिस्थियों भाजपा के पास एक ही विकल्प रह गया है वह है श्रीमती इंदू गोस्वामी।देश में भारतीय जनता पार्टी एक ऐसा दल है जो किसी भी समय अपनी पार्टी के नेता और सरकार के कार्यरत मुख्यमंत्री बदलने की क्षमता रखती है।हाल ही में गुजरात,उत्तराखंड,कर्णाटक के मुख्यमंत्री बदलना इसके ज्वलंत उद्धारण रहे है। ऐसा कर पाना पार्टी के लिये सहज होना स्वाभाविक है क्योंकि पार्टी में "एक कल्ट" के नाम पर पार्टी संचालन हो रहा है। वोट भी वैसे ही मांग कर सरकारे बनतीं हैंं।मुख्यमंत्री किसे बनना है , यह तय तो विधायक ही करते है लेकिन आंतरिक आदेश व सहमति से,जिसके बाहर निकलना विधायक दल के लिये संभव नहींं होता।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को देख लें,पार्टी एजेड़ा ही विकास है।जिस राजनैतिक धरातल पर इंदू गोस्वामी टिकी हुई हैं वह धरातल उन्हें मुख्यमंत्री के पद तक ले जा सकता है। इंदू गोस्वामी महिला सशक्तिकरण के मंत्र को लेकर खुद भी काफी सक्रिय हो गई हैं। वर्ष1998 में वे नरेंद्र मोदी के साथ भी टीम मे रहींं पालमपुर से चुनाव हारने पहले , 2017 प्रदेश महिला मोर्चे कीअध्यक्ष, फिर 2020 में राज्यसभा से सांसद,भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री बना कर बहुत उंचे सियासी कद की नेता बन चुकीं हैं।यह स्मरण रखने योग्य है कि 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने उनके लिये प्रचार किया था। वर्ष 2022 में फिर हिमाचल विधानसभा केचुनाव होने हैं।भाजपा के केंद्र में इंदू गोस्वामी की पकड़ को देखते हुए,भाजपा 2022 में सत्ता पर काबिज होते ही इंदू गोस्वामी हिमाचल प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री बन सकतीं है।